दोनों की बातों में ढेर सारा समय गुज़र गया, दोनों घर को तो मानो भूल ही बैठे थे। उनकी सोच में दूर-दूर तक ये चिंता नहीं व्याप रही थी, कि शाम को उन्हें घर न पाकर घरवालों पर क्या बीत रही होगी। दोनों को जैसे एक दूसरे का संबल था।
कुछ देर बाद दिव्यांश वॉशरूम जाने की बात कह कर उठा और फुर्ती से बाहर की ओर निकल गया।
अपने ही ख्यालों में खोये आर्यन का ध्यान इस बात पर भी नहीं जा पाया, कि वह वॉशरूम जाते समय भी अपना स्कूल बैग कंधे पर ले गया है।
एक क्षण बाद आर्यन चौंका किन्तु दोस्त पर भरोसा करने के अलावा कोई चारा भी नहीं था।
लेकिन जैसे-जैसे समय गुज़रा,इंतज़ार करते आर्यन पर भीतरी निराशा और अनजाना भय डेरा जमाने लगे। उसे मन ही मन दाल में कुछ काला नज़र आने लगा। तमाम घबराहट ने उसे किंकर्तव्यविमूढ़ बना दिया। उसे समझ में नहीं आया कि उसे नींद घेर रही है या बेहोशी।
वह ज़मीन पर ही टाँगें फैला कर अधलेटा सा हो गया।
उसकी सोच में सुबह की मम्मी-पापा के बीच की जहरीली बहस उभरने लगी। मानो सच में ऐसा हो जाये कि उसके माता-पिता अलग होकर रहने लग जाएँ तो उसका क्या होगा?
एक पल को उसकी आँखों में वह दिन भी कौंध गया जब उसके पिता ने ज़िन्दगी समाप्त करने की चेष्टा की थी। उसका बचपन बदनसीबी के किस उजाड़ किनारे को छूकर लौट आया था।
ऐसा क्यों होता है कि जिंदगी भर के साथ की धर्मप्राण आयोजना करके भी दो लोग साथ नहीं रह पाते? क्यों ये दो किनारे एकाकार होने की जगह अलग होने के लिए मचलने लग जाते हैं? उसका बालमन ये समझने में नाकाम था कि उसे जन्म देने से पहले ही मम्मी-पापा ने एक दूसरे को समझ कर अपने फासले क्यों नहीं मिटा लिए?
वह अब इतना छोटा भी नहीं था कि "बच्चे भगवान की देन होते हैं" जैसी बहलाने-फुसलाने की बातों पर यकीन करे। उसने जनरल साइंस की किताब में स्त्री-पुरुष की वो शारीरिक क्रिया सचित्र देख-पढ़ रखी थी जिससे बच्चे का जन्म होता है।
उसे दिव्यांश के मुंह से अकस्मात निकली उस आशंका पर भी यकीन होने लगा कि ज़रूर मम्मी उसके सीधे-सादे पापा से ज़्यादा किसी और को पसंद करने लगी होंगी, जिसके कारण वह पापा की अवहेलना करती रहती हैं। वह खुद अपनी आखों से देख चुका था कि कई बार मम्मी का क्रोध अकारण होता था, और पापा निरीह से बन कर सफाई देने में ही खर्च होते रहते थे। -छी ! तो क्या मम्मी वह सब किसी और के साथ कर रही थीं? उसे पापा पर दया सी आने लगी।
पर मम्मी को ये तो सोचना चाहिए कि क्या उनके पास अपनी ज़िन्दगी सँवारने के बदले मेरी और पापा की जिंदगी को नरक बना देने का अधिकार है?
आर्यन ने ख़बरों में कई बार देखा-सुना था कि विदेशों में तो छोटे-छोटे बच्चे तक अपने अधिकार के लिए खून-खराबा कर डालते हैं। वे खुद को गोली मार लेते हैं या फिर सामने वाले को मौत के घाट उतार डालते हैं।
क्या वह भी अपने मित्रों की मदद से अपनी मम्मी के किसी रहस्य को जानने की कोशिश करे?
लेकिन उससे क्या होगा, यदि कोई ऐसा व्यक्ति सामने आ भी गया तो क्या उसके शांत स्वभाव के पापा ऐसे शत्रु को दंड दे पाएंगे? क्या उससे सबका जीवन तहस-नहस नहीं होगा?
कुछ देर बाद दिव्यांश वॉशरूम जाने की बात कह कर उठा और फुर्ती से बाहर की ओर निकल गया।
अपने ही ख्यालों में खोये आर्यन का ध्यान इस बात पर भी नहीं जा पाया, कि वह वॉशरूम जाते समय भी अपना स्कूल बैग कंधे पर ले गया है।
एक क्षण बाद आर्यन चौंका किन्तु दोस्त पर भरोसा करने के अलावा कोई चारा भी नहीं था।
लेकिन जैसे-जैसे समय गुज़रा,इंतज़ार करते आर्यन पर भीतरी निराशा और अनजाना भय डेरा जमाने लगे। उसे मन ही मन दाल में कुछ काला नज़र आने लगा। तमाम घबराहट ने उसे किंकर्तव्यविमूढ़ बना दिया। उसे समझ में नहीं आया कि उसे नींद घेर रही है या बेहोशी।
वह ज़मीन पर ही टाँगें फैला कर अधलेटा सा हो गया।
उसकी सोच में सुबह की मम्मी-पापा के बीच की जहरीली बहस उभरने लगी। मानो सच में ऐसा हो जाये कि उसके माता-पिता अलग होकर रहने लग जाएँ तो उसका क्या होगा?
एक पल को उसकी आँखों में वह दिन भी कौंध गया जब उसके पिता ने ज़िन्दगी समाप्त करने की चेष्टा की थी। उसका बचपन बदनसीबी के किस उजाड़ किनारे को छूकर लौट आया था।
ऐसा क्यों होता है कि जिंदगी भर के साथ की धर्मप्राण आयोजना करके भी दो लोग साथ नहीं रह पाते? क्यों ये दो किनारे एकाकार होने की जगह अलग होने के लिए मचलने लग जाते हैं? उसका बालमन ये समझने में नाकाम था कि उसे जन्म देने से पहले ही मम्मी-पापा ने एक दूसरे को समझ कर अपने फासले क्यों नहीं मिटा लिए?
वह अब इतना छोटा भी नहीं था कि "बच्चे भगवान की देन होते हैं" जैसी बहलाने-फुसलाने की बातों पर यकीन करे। उसने जनरल साइंस की किताब में स्त्री-पुरुष की वो शारीरिक क्रिया सचित्र देख-पढ़ रखी थी जिससे बच्चे का जन्म होता है।
उसे दिव्यांश के मुंह से अकस्मात निकली उस आशंका पर भी यकीन होने लगा कि ज़रूर मम्मी उसके सीधे-सादे पापा से ज़्यादा किसी और को पसंद करने लगी होंगी, जिसके कारण वह पापा की अवहेलना करती रहती हैं। वह खुद अपनी आखों से देख चुका था कि कई बार मम्मी का क्रोध अकारण होता था, और पापा निरीह से बन कर सफाई देने में ही खर्च होते रहते थे। -छी ! तो क्या मम्मी वह सब किसी और के साथ कर रही थीं? उसे पापा पर दया सी आने लगी।
पर मम्मी को ये तो सोचना चाहिए कि क्या उनके पास अपनी ज़िन्दगी सँवारने के बदले मेरी और पापा की जिंदगी को नरक बना देने का अधिकार है?
आर्यन ने ख़बरों में कई बार देखा-सुना था कि विदेशों में तो छोटे-छोटे बच्चे तक अपने अधिकार के लिए खून-खराबा कर डालते हैं। वे खुद को गोली मार लेते हैं या फिर सामने वाले को मौत के घाट उतार डालते हैं।
क्या वह भी अपने मित्रों की मदद से अपनी मम्मी के किसी रहस्य को जानने की कोशिश करे?
लेकिन उससे क्या होगा, यदि कोई ऐसा व्यक्ति सामने आ भी गया तो क्या उसके शांत स्वभाव के पापा ऐसे शत्रु को दंड दे पाएंगे? क्या उससे सबका जीवन तहस-नहस नहीं होगा?
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