शनिवार, 17 सितंबर 2016

आज श्रीहान और सुयश स्कूल से कुछ देरी से वापस आने वाले थे। गिलहरी ने खुद अपने कानों से सुना था ,वे अपनी मम्मी को बता रहे थे कि आज उनके स्कूल में खेल की प्रतियोगिता है इसलिए लौटने में देरी होगी। मम्मी ने उन्हें लंचबॉक्स में भी न जाने क्या-क्या स्वादिष्ट चीज़ें बना कर दी थीं।  गिलहरी तो उसकी खुशबू से ही तृप्त हो गयी थी। वह बार-बार उनके बैग के चारों ओर चक्कर काटती और ये सोचती रही कि काश, वे दोनों टिफिन में कुछ जूठन बचा कर ले आएं और उनकी मम्मी गार्डन में रखी डस्टबिन में उसे फेंकें। गिलहरी के मज़े आ जाएँ। तभी गिलहरी को याद आया कि कल क्लब हॉउस के पीछे वाले पेड़ पर बैठे तोते ने कहा था-ज़्यादा लालच नहीं करना चाहिए। लालच सेहत को गिरा देता है।
गिलहरी ने मन ही मन भगवान से माफ़ी मांगी और दौड़ कर साइकिल गैरेज के चाबी वाले छेद में आराम करने चल दी। आज श्रीहान और सुयश देरी से आने वाले थे तो खूब देर तक उस जगह बैठने का मौका था।  गिलहरी ने हाथ में दो बड़े-बड़े जामुन लिए और फुदकती हुई चल दी।
लेकिन वहां जाकर तो गिलहरी के मंसूबों पर पानी ही फिर गया। वहां तो पहले से ही कबूतर, कॉकरोच, चिड़िया और छोटी मेंढकी जमा थे। मेंढकी लॉन से पानी का पाइप खींच कर चाबीघर को धो रही थी और कबूतर पंखों से झाड़-झाड़ कर उसे साफ़ कर रहा था। चिड़िया क्यारी से छोटे-छोटे फूल लाकर चाबीघर को सजाने में लगी थी। कॉकरोच चींटियों को वहां आने से रोक रहा था।
गिलहरी को अचम्भा हुआ-ये सब तैयारी किसलिए ? क्या यहाँ कोई आने वाला था? उसने आख़िर पूछ ही लिया।
चिड़िया चहचहाई-"लो, इसे ये भी मालूम नहीं,अरे हर साल सोलह अक्टूबर को मंगल ग्रह के जुगनू यहाँ आते हैं या नहीं? धरती पर ! वही तो हमारे मेहमान हैं। उन्हें ठहराने की तैयारी नहीं करनी ?"
ओह, अच्छा मैं तो भूल ही गयी थी।
मंगल ग्रह के जुगनू ए और वन हर साल ही यहाँ आते थे।  ये सब उनके दोस्त बन गए थे, सब मिल कर खूब मौज-मस्ती करते थे।
चिड़िया बोली-"इस बार तो ए और वन ये देख कर खुश हो जायेंगे कि श्रीहान और सुयश स्कूल भी जाने लगे हैं।"
-"हम लोग उन्हें स्कूल दिखा कर भी लाएंगे।" कबूतर ने पंख फड़फड़ाते हुए कहा।
-"कैसे" मेंढकी बोली।
-"कैसे क्या? मंगल ग्रह के जुगनू कोई हाथी-घोड़े थोड़े ही हैं,उन्हें तो मैं अपनी पीठ पर बैठा कर ही ले जाऊंगा।" कॉकरोच बोला।
गिलहरी से नहीं रहा गया। फ़ौरन बोली-"पीठ पर तो बैठा लेगा, पर वहां इतनी दूर जायेगा कैसे? सोमवार को गया तो मंगल को पहुंचेगा।"
-"अच्छा है न, मंगल ग्रह के जुगनू मंगल को ही पहुंचेंगे।" मेंढकी ने हंसी दबा कर कहा।
अपनी इस तरह खिल्ली उड़ती देख कर कॉकरोच तिलमिला गया।
बोला-"क्यों, जब उनकी मम्मी स्कूल छोड़ने जाती हैं तो वह क्या कार धीरे-धीरे नहीं चलातीं ?
-"अरे हाँ,ये ठीक कह रहा है, वह बहुत धीरे चलाती हैं, एक दिन सुयश अपना लिखने का चॉक घर पर ही भूल गया था, तो पीछे से उसे चौंच में दबा कर मैं देने गया। मैंने देखा कार तब तक आधे रास्ते में ही पहुंची थी। मैं उड़ता तो कार बार-बार पीछे रह जाती थी।"कबूतर ने कॉकरोच का पक्ष लिया।
-"फिर"? गिलहरी ने पूछा।
-"फिर क्या, मैं कार की खिड़की से चॉक सुयश को दे आया।" कबूतर बोला।
-"वाह !" सब एक साथ बोले।
-"मम्मी धीरे चलाती हैं तो श्रीहान कितना नाराज़ होता है, उसे पापा के साथ तेज़ी से घूमना अच्छा लगता है ?"कबूतर ने कहा।
-"लेकिन श्रीहान को तो साइकिल बहुत तेज़ चलाना अच्छा लगता है।"गिलहरी बोली।
-"अरे जा-जा, कल तो सड़क पर इतना धीरे चला रहा था कि मैं सड़क को आसानी से पार कर गयी।" मेंढकी ने गिलहरी की बात काटी।
गिलहरी ने झट सफाई दी-"अरे कल तो वो प्रगुनी को साइकिल चलाना सिखा रहा था, उस से कह रहा था कि ऑलिम्पिक में मैडल लड़कियों को ही मिलता है।"     
चिड़िया ने बात का पटाक्षेप किया, बोली-"कॉकरोच भाई का क्या है, ए और वन को पीठ पर बैठा कर श्रीहान या सुयश के बैग में ही घुस जायेंगे, तो स्कूल पहुँच जायेंगे।"            
             

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