मंगलवार, 27 सितंबर 2016

श्रीहान और सुयश का स्कूल देख कर दोनों जुगनू "ए"और "वन" बहुत ही खुश हुए।
वे दोनों कॉकरोच के कंधे पर बैठ कर ही स्कूल आये थे। कॉकरोच की धीमी चाल के कारण कबूतर ने उसे चोंच में पकड़े एक तिनके पर बैठा लिया था और उड़ कर यहाँ ला पहुँचाया था।
स्कूल की प्रार्थना के बाद राष्ट्रगीत में जब बच्चों ने गाया -"जन गण मंगल दायक जय हे" तो दोनों जुगनुओं की आँखें ख़ुशी के आंसुओं भीग गयीं। अपने ग्रह का नाम इतनी दूर बच्चों के मुख से सुन कर वे गदगद हो गए।
लौटते समय जुगनू तो अपने ग्रह को याद कर रहे थे किन्तु कॉकरोच का पूरा ध्यान सुयश के टिफ़िन में बचे खाने पर था। वह इस इंतज़ार में था कि घर पहुँच कर सुयश के टिफ़िन की जूठन डस्टबिन में फेंकी जाए और उसे दावत मिले।
शाम को सबने मिलकर जुगनुओं को "ज़ू" दिखाने का कार्यक्रम बनाया। चिड़ियाघर कहे जाने वाले इस ज़ू में हाथी,ज़िराफ,ऊँट,शुतुरमुर्ग,दरियाईघोड़ा,बारहसिंघा,घोड़ा, गेंडा,भैंस,शेर,बाघ,चीता,रीछ,लकड़बग्घा,कंगारू,भेड़िया,हिरण,गोरिल्ला,लंगूर,बन्दर,मगरमच्छ,भालू जैसे एक से एक विशालकाय प्राणी थे। इनके साथ तोता,मोर,बगुला,नीलकंठ,कोयल,सारस,गौरैया,मैना , बत्तख और मुर्ग़े की छटा भी देखते ही बनती थी।  
जुगनुओं ने अब तक अपने दोस्तों -छिपकली,मेंढकी,कॉकरोच,कबूतर,गिलहरी आदि को ही देखा था।
जब उन्होंने वहां इन भीमकाय प्राणियों को देखा तो मन ही मन फ़ैसला किया कि वे इनमें से कुछ को अपने साथ मंगल पर चलने का निमंत्रण देंगे। उन्होंने सोचा-यदि ये वहां चले तो उनके ग्रह पर भी रौनक हो जाएगी।
गिलहरी को जैसे ही जुगनुओं की इस मंशा का पता चला, उसने तत्काल जुगनुओं को सलाह दी कि ये सब प्राणी भोजन-भट्ट हैं, इन्हें यूँही खाना मत देना, इनसे कुछ काम-धाम भी करवाना।
मेंढकी बोल पड़ी-"तुम मंगल ग्रह पर सफाई अभियान चला देना। इस से ये सब कुछ तो काम-धाम करेंगे"
                   
  

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